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Firozabad-hospital-scrub-typhus-platlets-blackmarketeeringकोरोना वायरस पर विजय पाने के लिए जब इसके पीड़ित लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ी तब ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लोगों को काफी कीमत चुकानी पड़ी। ऑक्सीजन की कालाबाजारी का बाजार चारों ओर चर्चा का विषय बना।

वर्तमान में डेंगू के हमले ने जनता को बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है, इसलिए अब प्लेटलेट्स की जरुरत महसूस होने लगी। लेकिन जब इस रोग पर काबू पाने के लिए मरीजों के तीमारदार प्लेटलेट्स के लिए दौड़ते दिखाई देने लगे। इस दौड़ को देखते हुए प्लेटलेट्स की कालाबाजारी भी शुरू हो गई। तीमारदारों से प्लेटलेट्स के 800 से 3000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। प्लेटलेट्स के छोटे पैक की सबसे ज्यादा कालाबाजारी होती दिखाई दे रही है।

निजी ब्लड बैंकों में जंबो पैक ( सिंगल डोनर एफोरेसिस प्लेटलेट्स ) की कीमत 7500 से 8000 रुपये है। इसे डेंगू के मरीज को चढाने पर 50 हजार प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। मिनी पैक ( रैंडम डोनर प्लेटलेट्स ) से 10 हजार प्लेटलेट्स की बढ़ोतरी होती है। इसकी कीमत इस समय 800 से 900 रुपये है। इसकी मांग 8% तक बढ़ने पर दलाल भी सक्रिय हो गए हैं।

ड्रग अफसर आर के शर्मा ने बताया कि प्लेटलेट्स की कालाबाजारी की शिकायत पर शमशाबाद रोड स्थित ब्लड बैंक से फीस और हेल्प लाइन नंबर चस्पा करने को कहा गया है और रिकॉर्ड भी माँगा गया है।

लोकहितम ब्लड बैंक के डायरेक्टर अखिलेश अग्रवाल ने बताया कि मांग बढ़ने पर फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा मिनी पैक, जंबो पैक की कालाबाजारी शुरू हो गयी है। यमुना पार क्षेत्र से साबसे ज्यादा मांग आ रही है। इसी तरह समर्पण ब्लड बैंक के निदेशक ब्रज मोहन अग्रवाल का कहना था कि पिछले 5-6 दिनों में 50 जंबो पैक की सप्लाई हुई। वायरल फीवर और डेंगू में बढ़ती मांग के कारन एजेंट्स कमीशनखोरी करते हैं। डोनर से पूछताछ करने पर संदिग्ध नजर आने पर पैक नहीं दिया जाता।

फ़िरोज़ाबाद में डेंगू का भयंकर प्रकोप होने की वजह से प्लेटलेट्स हेतु वह के तीमारदार आगरा तक दौड़ रहे हैं। फ़िरोज़ाबाद निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि उनका मरीज फिरजाबाद से आगरा के यमुना पार स्थित अस्पताल में लाया गया है। प्लेटलेट्स काम होने पर डॉक्टर ने जंबो पैक की व्यवस्था करने को कहा है। अस्पताल के ही एक स्टाफर ने 2500 रुपये अतिरिक्त लेकर डोनर का इंतजाम कराया है।

इसी तरह शिकोहाबाद के देवेंद्र सिंह का पुत्र भी आगरा के एक अस्पताल में भर्ती है।  उन्होंने बताया कि डॉक्टर ने मिनी पैक की मांग की है। एक व्यक्ति ने 500 रुपये ज्यादा देकर पैक का इंतजाम कराया है। बच्चे को चढाने के बाद स्थिति में काफी सुधार आया है।

हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा का यह कहना उचित लगा कि कोरोना काल में आगरा में ऑक्सीजन की कालाबाजारी की वजह से पूरे देश में शहर की बदनामी हुई थी और यह प्रकरण मीडिया में छाया रहा था। अब डेंगू की चर्चा भी देशव्यापी स्तर पर चल पड़ी है, ऐसे में प्लेटलेट्स की कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जाना बहुत जरूरी है।

S Qureshi