अतीत का झरोखा हो या इतिहास का पन्ना  आज का सुनहरा पल हो या आने वाले कल का एहसास भूत भविष्य और वर्तमान हम चित्रों के माध्यम से या लेख के माध्यम से संजो के रखते हैं| अतीत का संयोजन आज की पीढ़ी को पुराने इतिहास को दिखाता है और रोमांचित करता है और आज हम अपने सुख और दुख के पलों को तस्वीरों के माध्यम से  अपने दिल और दिमाग में संजोते हैं वो कल आने वाली पीढ़ी को रोमांचित करेगा, और हमारे किए हुए कार्य का लेखा जोखा बताएगा ।यह सब फ़ोटोग्राफ़ी से ही संभव हैं|

इन्ही पलों को इकट्ठा करने के लिए सन 1839 में कृत्रिम लैंस ( कैमरे )का भी आविष्कार हुआ। इस लैंस से प्राप्त छवि को स्थायी रूप से सहेजने का प्रयास किया।जो इस संसार में प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को जन्म के साथ भी एक कैमरा दिया है |जिससे वह संसार की प्रत्येक वस्तु की छवि अपने दिमाग में अंकित करता है। वह कैमरा है उसकी आंख। इस दृष्टि से देखा जाए तो प्रत्येक प्राणी एक फोटोग्राफर है। लेकिन प्राणी की मृत्यु के साथ ही वह तस्वीर का अस्तित्व ख़त्म हो जाता हैं| लेकिन लेंस और कैमरे के माध्यम से ली गई तस्वीरों  के माध्यम से ही आज हम आदिकाल से लेकर अब तक  और आदिकाल तक सुख ,दुख ,इतिहास को देख पाते हैं और समझ पाते हैं ।

182 साल पुराना तस्वीर लेने का सफ़र अनेक उतार-चढ़ाव देखते हुए आजादी की लड़ाई हो या विश्व युद्ध की तस्वीरें या किसी दार्शनिक स्थल की तस्वीरें हो या पौराणिक कोई कथा हो इन सब को सजीव आँकलन करना तस्वीरों के माध्यम ने ही संभव किया है| तस्वीरों के माध्यम से ही हम  लोक कथाओं को रोमांटिक स्थानों को या प्राकृतिक सुंदरता को देखकर अपने मन को रोमांचित करते हैं।

आपको जानकर आश्चर्य होगा 1839 के शुरूआती महीने में अमेरिकन फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने एक सेल्फी ली थी।और फ्रांस की सरकार द्वारा 1839 ,19 ऑगस्ट को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में घोषित किया| 182 साल से लेकर आज तक इस कैमरे द्वारा फोटोग्राफी में अनेक परिवर्तन हुए हैं ऐसे ऐसे परिवर्तन हुए हैं जो कल्पना के परे हैं |कैमरों के माध्यम से ही हम कई फीट दूर कई गुनी ऊंची अंधकार में उजाले में फोटो लेने में सक्षम हुए हैं|  स्मार्टफोन आने के बाद अब हर आदमी फोटोग्राफर बनकर अपनी यादों को, प्राकृतिक सुंदरता को , जानवरो के क्रियकलापो को  अपने कैमरे में कैद करता है|

अब फोटोग्राफी एक बहुत बड़ा प्रोफेशन हो गया है और इसके लिए दुनिया में तमाम तरीके के शॉर्ट टर्म ,लोंग टर्म,प्रोफेशनल डिग्रियां होने लग गई है और दिन प्रतिदिन फोटोग्राफी का स्कोप  बढ़ता जा रहा है । फोटोग्राफी आज शौक के साथ-साथ रोजगार देने का भी काम कर रही है |कई यूनिवर्सिटी में बाकायदा आर्ट एंड फोटोग्राफी सब्जेक्ट पर डॉक्टरेट  तक कराई जाती है ।

एक समय फोटोग्राफी बहुत सीमित तकनीक (टेक्नोलॉजी ) हुआ करती थी पर आज अनेक  तकनीक  की फोटोग्राफी हो गई है| इस क्षेत्र में दख़ल रखने वाले भी नई तकनीक कुछ समय बाद ही उसकी जानकारी में आ पाती  हैं| आजकल प्रोडक्ट फोटोग्राफी ,कैटलॉग फोटोग्राफी ,प्रोफाइल फोटोग्राफी ,कैंडिड फोटो ,प्री वेडिंग शूटिंग,ड्रोन फोटोग्राफी का काफी प्रचलन है |एक समय में परिवार के किसी मांगलिक कार्य में ही फोटोग्राफर चंद रुपए में काम किया करते थे पर आज फोटोग्राफी का अकेला बजट इतना होता है की एक मध्यवर्गीय परिवार की बिटिया की शादी तक हो जाए|

आगरा में भी फोटोग्राफरों में एक जुनून पैदा हुआ हैं और उस जुनून को लेकर आज आगरा में 2000 ऐसे लोग हैं जो लगातार फोटोग्राफी में अपना इंटरेस्ट रखते हैं और दुनिया भर की फोटोग्राफरों से मुकाबला करतेहै| आगरा की कई फोटोग्राफरी क्षेत्र में दखल रखने वाले कई फोटोग्राफर देश विदेश मे अपने अपने क्षेत्र जैसे कैंडिड फोटोग्राफी, प्रोडक्ट फोटोग्राफी,वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के साथ हिस्टोरिकल मोमेंट्स को कैप्चर करने में विश्व के फोटोग्राफरों का मुकाबला करते हैं |इनकी एक-एक फोटोग्राफ देख कर ऐसा लगता है कि इन लोगों ने यह फोटो नहीं उस प्रोडक्ट ,वाइल्ड मूवमेंटको अपनी तस्वीर में चिपका दिया ।

आगरा के फोटोग्राफी क्लब इस क्षेत्र में बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं| यह हर महीने फोटोग्राफी के मूवमेंट पर जाते हैं| नई से नई ऐतिहासिक ,रोमांटिक ,एडवेंचर स्थानों को खोज के विश्व के लोगों को रूबरू कराते हैं |यह क्लब फोटोग्राफी में रुझान रखने वाले सदस्यों को इसके गुण सिखाते हैं आगरा के वरिष्ठ फोटोग्राफर बिहारी लाल का जुनून है जहां भी खड़े हो जाते हैं वह फोटोग्राफी के गुण सिखाने लगते हैं|

कहते हैं बचपन से ही जब किसी चीज में रुझान पैदा हो जाता है तो वह व्यक्ति अपने जीवन काल में उसमें महारत हासिल कर लेता है |इसी बात को ध्यान में रखते हुए आजकल अनेक स्कूल और कॉलेज अपने बच्चों को कलिकूलर एक्टिविटीज में फोटोग्राफी के गुण सिखाने के लिए अनेक प्रोफेशनल के साथ फोटोग्राफी क्लब के सदस्यों को बुलाते हैं|

स्कूल का मानना यह खाली एक शौक नहीं है यह आपके दिल ,दिमाग,आँख  तमाम चीजों नज़रिये के साथ एक  पिक्चर को अपने दिमाग में बनाने की कला है, जो कि जीवन में कामयाबी के दौर में इसका एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

आगरा में पहला फोटो स्टूडियो प्रिया लाल खुला था और आगरा में स्थापित फाइन आर्ट ,स्पीड कलर लैब (कलकुंज )नाइस ,भारत स्टूडियो हैं।पहले आम आदमी के लिए फोटो खिंचवाना और उसे सहेजना आज के मुकाबले में कठिन था |आज डिजिटल कैमरों का और स्मार्ट  फ़ोन का दौर है| अब ना फ़िल्म लगाने का झंझट है ना डार्क रूम का झंझट है अब तो सीधे ही रंगीन फोटो खींच के हाथ में होती है|

विश्व के  लोगों का फोटोग्राफी एक ऐसी विधा है जो आदमी को मल्टीडाइमेंशनल एक्टिविटीज के बिना संभव नहीं हैं| इसमें आंख नाक कान दिमाग उंगली सब शरीर  एक साथ काम करता है| आप क्या सोच रहे हैं? क्या देख रहे हैं ?कैसे देख रहे हैं? क्यों देख रहे हैं ?इन सब बातों को जवाब दिमाग में आते  हैं |तब एक अच्छी फोटोग्राफ बनती है |जरूरी नहीं है कि आप एक फोटो खींचे और वह आपके मनपसंद या मनभावन फोटो आ जाए| 100 100 फोटो में से एक एक फोटो को छांटना अपने मनपसंद निकालना और फिर उसका प्रतियोगिता में भेजना एक कठिन काम है |फोटोगा्फर अपनी फोटोग्राफी की कला से पत्थर को हीरा बना देते है |

आज करोना वायरस में लाकडाउन  के तहत अगर तमाम लोगों ने फोटोग्राफी में अपना हाथ आजमाया है तो दूसरी तरफ तमाम फोटोग्राफरों से उसका रोजगार छिना है |आज एक साल  से विश्व का पर्यटन कारोबार  बंद पड़ा है और उस में सैकड़ों की संख्या में जो फोटोग्राफर अपनी फोटो की कला से पैसा कमाकर अपने परिवार का पेट पालते थे आज वह बहुत मुश्किल में है ।

वेश्विक  स्तर पर विश्व फोटोग्राफी 19 अगस्त 2010 से मनाई जाने लगी।लेकिन आगरा के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव सक्सैना अपनी तस्वीरों के खजाने से रोज एक ऐसी फोटो अपने फेसबुक पर पोस्ट करते हैं जो ना केवल रोमांचित करती है बल्कि प्रतियोगिता का एक हिस्सा भी बन जाती है |उनकी हर फोटो लाजवाब होने के साथ 150 वर्ष की एक कहानी कहती है।इसलिए समस्त नागरिकों को इस कैमरे की अहमियत समझना चाहिए| एक यही वह डॉक्यूमेंट है जो आपको चाहे अनचाहे आपकी जीवनी आपके मरने के उपरांत बयान कर सकता है|

 

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से
लोक स्वर आगरा
फोन नंबर 98370 97850
Email rajeevsir.taj@gmail.com


Note by the editor: The views, thoughts, and opinions expressed in this article belong solely to the author, and do not necessarily reflect the views of Agra24.in.

Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal Sharma is an experienced Indian journalist, cyber security consultant, social activist, and poet writing under the pen name Surur Akbarabadi. With over two decades in journalism, he has worked across print, digital, and TV media, including notable roles at The Indian Express, The Pioneer, Indo-American Times, and Business Standard. He is currently the editor of Agra24.in, a bilingual news portal focused on Agra, which he co-founded to provide in-depth analysis and balanced reporting. Based in Agra and Lucknow, Vishal balances his professional commitments with family life. Academically, he has studied Life Sciences, Law, and Business Management, and has pursued studies in journalism and mass communication. His journalism covers current affairs, business, and social issues, with a focus on factual reporting and avoiding controversial topics that could harm social harmony. As a poet inspired by Urdu legends like Ghalib and Nazir Akbarabadi, Vishal’s work combines personal insight with societal critique. He actively promotes communal harmony through his role as Vice-Chairman of Hindustani Biradari, an organization founded to emphasize unity beyond religion and caste. He is also Secretary of the Agra Tourist Welfare Chamber and was also a member of Agra’s Heritage and History Conservation Committee, working to preserve the city’s cultural heritage. Professionally, Vishal brings his cyber security expertise to his media work, enhancing the technical and editorial quality of his news platforms. His interests include photography and travel, particularly exploring India’s diverse landscapes and cultural heritage sites like Rajasthan, especially Sariska. His contributions reflect a steady commitment to journalism, cultural preservation, and social cohesion without excessive embellishment.

By Vishal Sharma

Vishal Sharma is an experienced Indian journalist, cyber security consultant, social activist, and poet writing under the pen name Surur Akbarabadi. With over two decades in journalism, he has worked across print, digital, and TV media, including notable roles at The Indian Express, The Pioneer, Indo-American Times, and Business Standard. He is currently the editor of Agra24.in, a bilingual news portal focused on Agra, which he co-founded to provide in-depth analysis and balanced reporting. Based in Agra and Lucknow, Vishal balances his professional commitments with family life. Academically, he has studied Life Sciences, Law, and Business Management, and has pursued studies in journalism and mass communication. His journalism covers current affairs, business, and social issues, with a focus on factual reporting and avoiding controversial topics that could harm social harmony. As a poet inspired by Urdu legends like Ghalib and Nazir Akbarabadi, Vishal’s work combines personal insight with societal critique. He actively promotes communal harmony through his role as Vice-Chairman of Hindustani Biradari, an organization founded to emphasize unity beyond religion and caste. He is also Secretary of the Agra Tourist Welfare Chamber and was also a member of Agra’s Heritage and History Conservation Committee, working to preserve the city’s cultural heritage. Professionally, Vishal brings his cyber security expertise to his media work, enhancing the technical and editorial quality of his news platforms. His interests include photography and travel, particularly exploring India’s diverse landscapes and cultural heritage sites like Rajasthan, especially Sariska. His contributions reflect a steady commitment to journalism, cultural preservation, and social cohesion without excessive embellishment.