एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग द्वारा किए गए एक हालिया शोध में महिलाओं के रक्त में कीटनाशकों की उपस्थिति और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर किया गया है। इस शोध में सामने आया कि शरीर में कीटनाशकों की बढ़ती मात्रा के कारण महिलाओं के हार्मोन प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनके चेहरे पर हल्की दाढ़ी और मूंछें उग रही हैं।
शोध की प्रमुख बातें
इस अध्ययन में 18 से 30 वर्ष की 220 महिलाओं के रक्त के नमूनों की जांच की गई। शोध की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रुचिका गर्ग के अनुसार, इन महिलाओं में 15 प्रकार के कीटनाशक पाए गए, जो हार्मोनल असंतुलन, मधुमेह, थायरॉयड, अवसाद और बांझपन जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
शोध में शामिल महिलाओं का वर्गीकरण:
- 71.8% विवाहित और 28.2% अविवाहित महिलाएं थीं।
- 27% उच्च वर्ग, 29% मध्यम वर्ग और 44% निम्न वर्ग की थीं।
- 54% ग्रामीण और 46% शहरी क्षेत्र की महिलाएं थीं।
शोध के चिंताजनक निष्कर्ष
रक्त परीक्षण में निम्नलिखित कीटनाशक पाए गए: अल्फा बीएचसी, बीटा बीएचसी, गामा बीएचसी, डीडीटी, एंड्रिन, हेप्टाक्लोर, इंडोसल्फान सल्फेट आदि। विशेषज्ञों के अनुसार, ये जहरीले तत्व खाद्य पदार्थों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।
शोध में दर्ज आंकड़े:
- 73.6% महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या।
- 72.7% में मुंहासे।
- 71.8% में चिंता के लक्षण।
- 60.9% में मोटापा।
- 43.6% में अनचाहे बाल।
- 37.3% में अवसाद।
- 19.3% में मधुमेह।
- 18.7% में थायरॉयड की समस्या।
विशेषज्ञों की राय
एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. रिचा सिंह ने कहा कि फास्ट फूड और रासायनिक खाद से उगाए गए अनाज के अत्यधिक सेवन से महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हो रहे हैं। इससे न केवल महिलाओं को बल्कि उनकी संतान को भी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।
शोध सहयोगी डॉ. शैफाली सिंह के अनुसार, इन महिलाओं को उचित इलाज, काउंसिलिंग और पौष्टिक आहार देने पर उनकी सेहत में सुधार देखा गया।
सरकार से दिशानिर्देश बनाने की मांग
शोधकर्ताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वह कीटनाशकों के उपयोग और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर सख्त दिशा–निर्देश बनाए।
सुझाव और सावधानियां
- किसान जैविक खेती अपनाएं और रासायनिक कीटनाशकों से बचें।
- डिब्बाबंद और फास्ट फूड के सेवन से परहेज करें।
- फल, सब्जियां और दालों को अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करें।
- नियमित व्यायाम और योग करें, वजन नियंत्रित रखें।
यह शोध महिलाओं के स्वास्थ्य पर बढ़ते पर्यावरणीय खतरों की ओर संकेत करता है और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

